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हम डरे हुए लोग |
स्वयं वायरस हो चुके हैं
हम डरे हुए लोग
अपनी बना लेना चाहते हैं
सारी निर्जीव चीजें ।
कब्जा लेना चाहते हैं
सबकुछ जड़ ,
और जो कुछ भी जिंदा है
उस पर चस्पा कर
देना चाहते हैं
खतरे का निशान ।
घर के बाहर
युद्ध से हालात हैं
क्योंकि हम
सबने चढ़ा रखे हैं
आंखों पर आइने
सिर्फ खुद को देखते हैं
इसलिए लगातार
टकराते हैं
एक दूसरे से और
हर टक्कर के बाद खीजते हैं
कि सामने वाला
देखकर क्यों नहीं चलता ।
अक्स गुजर रहे हैं
अक्स पसर रहे हैं
अक्स ही कर रहे हैं
जो कुछ भी हो रहा है ।
और घरों में छिपे बैठे हैं
स्वयं वायरस हो चुके
हम डरे हुए लोग ।
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