Yog se nirog rakhen tan Man
योग से नीरोग रखें तन मन
योग के अनुसार , जिसका मन रोगी और कमजोर है तो उसका शरीर भी रोगी और कमजोर होगा । आयुर्वेद में दो तरह की बीमारियां होती हैं , शारीरिक ( व्याधि ) तथा मानसिक ( आधि ) । इनका आपस में संबंध है ।
![]() |
Yog se nirog rakhen tan Man
योग से नीरोग रखें तन मन
|
कोविड 19 की इस महामारी का असर केवल तन ही मन पर भी पड़ रहा है । विश्व योग दिवस पर जानते हैं योग , कैसे तन - मन को स्वस्थ रखता है । इस वर्ष की थीम ' घर में परिवार के साथ योग है ।
मानसिक समस्याओं का शरीर पर प्रभाव
तनाव चाहे भावनात्मक हो या मानसिक पीयूष ग्रंथि को प्रभावित करता है । यह ग्रंथि शरीर की मुख्य ग्रंथि है । तनाव होने पर इससे असंतुलित हार्मोन निकलने लगते हैं । इसका असर थायरॉइड ग्रंथि पर भी पड़ता है । यह मेटाबॉलिज्म को भी प्रभावित करता है । अधिक तनाव से हृदय व पल्स की गति बढ़ जाती है । कोशिकाओं को रक्त कम मिलता है । इस कारण हृदय को अधिक कार्य करना पड़ता है । इसी वजह से थकान होती है । हाइपरटेंशन की समस्या हो जाती है ।
भगवान श्रीकृष्ण ने गीता में योग की परिभाषा द्वितीय अध्याय के 50 वें श्लोक में देते हैं- ' योगः कर्मसु कौशलम ' यानी कर्मों की कुशलता का नाम योग है ।
महर्षि पतंजलि ने लिखा है कि योग , ' योगश्चित्र वृत्ति निरोधः ' यानी चित्रवृत्तियों का नियंत्रण है । साधक अपने स्वरूप में स्थित हो जाता है , योग अनुशासन का दूसरा नाम है ।
मानसिक स्वास्थ्य के लिए उपयोगी आसन
महर्षि पतंजलि ने लिखा है कि योग , ' योगश्चित्र वृत्ति निरोधः ' यानी चित्रवृत्तियों का नियंत्रण है । साधक अपने स्वरूप में स्थित हो जाता है , योग अनुशासन का दूसरा नाम है ।
शीर्षासन , सर्वांगासन , हलासन , भुजंगासन , जानुशीर्षासन , त्रिकोणासन , प्राणायाम , भ्रामरी प्राणायाम एवं ध्यान का नियमित अभ्यास तन व मन दोनों के लिए उपयोगी है । इनके नियमित अभ्यास करने से स्मरणशक्ति बढ़ती और याद्दाश्त में सुधार होता है ।
ग्रंथियों को नियंत्रित कर स्वस्थ रखता है
शरीर में मुख्य सात हार्मोन ग्रंथियां हैं । ये सभी जीवन के लिए बहुत जरूरी हैं । इनमें समस्या से बीमारियां होती हैं । इनमें पिट्यूटरी , पीनियल , थायरॉइड , पैरा थायरॉइड , थायमस , पैंक्रियाज और गोनड्स ( जनन ग्रंथि ) , इनमें से तीन मस्तिष्क , दो गले और एक पेट व एक ओवरी - टेस्टेज में होती है । योग से इन्हें नियंत्रित किया जा सकता है ।
थायवास
से शरीर की इम्युनिटी बढ़ाने के लिए हार्मोन सावित करती है । इसमें जो टी सेल्स होते हैं वह बाहरी संक्रमण से बचाते हैं । इसके ने लिए हलासन , पश्चिमोत्तानासन , योग मुद्रा और सर्वांगसन करना उपयोगी रहता है ।
थायरायड
यह मेटाबोलिज्म ( कार्बोहाइड्रेट्स , वसा और प्रोटीन का चयापचय दर ) को नियंत्रित करता है । इसमें समस्या होने पर थायरॉइड होती है । हलासन , मत्स्यासन , सर्वांगासन , शवासन , ग्रीवा आसन करें ।
पैरा थायरॉडड
यह खून में कैल्शियम की मात्रा को नियंत्रित करता और शरीर में विटामिन डी बनाने का काम करता है । इसके लिए हलासन , मत्स्यासन , सर्वांगासन , शवासन और गर्दन से जुड़े आसन करें ।
पीनियल
यह दिमाग के मध्य में होती हैं और इससे मेलाटोनिन हार्मोन बनता है जो तंत्रिका तंत्र के संकेतों को नियंत्रित करता है । इसके लिए सर्वांगासन और शीर्षाशन सबसे कारगर है । इनसे नियंत्रित रहती है ।
पिट्यूटरी
इसे पीयूष ग्रंथि भी कहते हैं । यह शरीर के विकास और भूख को प्रभावित करती है । इसकी कमी से लंबाई पूरी नहीं बढ़ती है । सर्वांगासन ( आसनों का राजा है ) और शीर्षासन करना चाहिए ।
पैंक्रियाज
ये इंसुलिन , ग्लूकोगोन व सोमाटोस्टाटिन जैसे जरूरी हार्मोन बनाती है । मंडूकासन , योगमुद्रा , जानुशीर्षासन , पश्चिमोतानासन आदि पैकियाज के अल्फा , बीटा - गामा सेल्स को नियंत्रित कर बीमारी रोकती है ।
गोनड्स
यह जनन ग्रंथि है । भावना , डर , क्रोध , यौन विकास इससे प्रभावित होता है । किडनी से जुड़ी समस्याएं भी इससे जुड़ी होती है । इसके लिए पदमासन , सिद्धासन , उत्तानपादासन आदि करना लाभकारी है ।यह भी पढ़े
0 Comments
Please do not enter any spam link in the comment box.